जयपुर, 30 मई 2022: ऐसा अनुमान है कि भारत में जनसंख्या में से 20% से 30% या उससे अधिक लोगों को कम से कम एक एलर्जी से तकलीफ होती है और इनमें से कम से कम 15% लोगों में अस्थमा विकसित होता है। 4.5% किशोरवयीन व्यक्तियों को कुछ खाद्य पदार्थों की एलर्जी होती है और इस कारण अक्सर अस्थमा या रायनायटीस और कुछ थोड़े मामलों में दोनों होते हैं।
इस बढ़ती बीमारी के बारे में जागरूकता बनाने के लिए एसआरएल ने जयपुर में एलर्जीज को लेकर एक वैज्ञानिक कॉन्क्लेव का आयोजन किया। आम जनता, देखभालकर्ता, चिकित्सकीय समुदाय और नीति के निर्माता के साथ बड़े पैमाने पर इस विषय से जुड़ी आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना समय की माँग है। एटॉपिक मार्च को रोकना, एलर्जी की जाँच, युर्टीसेरियल प्रबन्ध, बच्चों में अस्थमा, खाद्य एलर्जी के उपचार हेतु अद्ययावत मार्गदर्शक निर्देश, बच्चों में होनेवाली एलर्जी के लिए निदान को ले कर दृष्टिकोण आदि विषयों पर इसमें चर्चा की गई।
इस कॉन्क्लेव में बात करते समय, एसआरएल डायग्नोस्टिक्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री. आनंद के ने कहा, “एलर्जी के रोगों पर उपचार और थेरेपी के उपायों की योजना करने के लिए रुग्णों में जोखीम के अलग स्तरों की पहचान करना आवश्यक होता है। भारत का वातावरण, वायु प्रदूषण और पॅरासाईटिक इन्फेस्टेशन को भी ध्यान में रखते हुए अन्य उच्च आय वाले देशों से मिलने वाले सबूतों के आधार पर फेनोटीपीक क्लस्टरिंग के द्वारा रुग्ण प्रबन्धन की योजना करना सही नही है। भारत में स्वतंत्र विशेषता स्टेटस के तौर पर एलर्जी को देखा जाना आवश्यक है और इससे हमें भारत में एलर्जी के तनाव को ले कर नीतिगत, प्रभावी, बहुस्तरीय और एकात्मिक प्रयास कर सकेंगे। व्यापक जनता और चिकित्सकीय समुदाय में भी इस तरह के और जागरूकता कार्यक्रमों की निर्मिति के लिए हम आगे भी प्रयास करेंगे।”
एसआरएल डायग्नोस्टिक्स की मायक्रोबायोलॉजी हेड डॉ. एकता पाटील ने कहा, “जेनेटीक और वातावरणीय पहलुओं में होने वाले जटिल पारस्परिक संबंधों के कारण एलर्जी की बीमारियाँ होती हैं। भारत में एचआईवी संक्रमण या ट्युबरक्युलोसिस होने वाले यक्तियों की संख्या से अधिक अस्थमा रुग्णों की संख्या अधिक है, ऐसा माना जाता है। पर्यावरणीय घटकों को देखते हुए, भारत में हवा को प्रदूषित करनेवाली चीज़ें अधिक मात्रा में होती है तथा घर के भीतर भी हवा में प्रदूषण करने वाली धूप और मच्छरों के लिए लगाई जाने वाली कॉईल्स के कारण भी यह स्थिति बिगड़ जाती है। बड़े पैमाने पर जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है जिससे रुग्णों को सही निदान और उचित प्रबन्धन उपलब्ध होगा और उससे चिकित्सकीय दृष्टि से सही प्रबन्धन हो सकेगा।”
एसआरएल डायग्नोस्टिक्स ने पीछले दशक में एलर्जी जाँच की शुरुआत की थी। हमारे व्यापक एलर्जी जाँच मेन्यू में विशिष्ट एलर्जन्स घटकों की पहचान के लिए एलर्जी के इन विट्रो निदान के गोल्ड स्टँडर्ड और व्यापक एलर्जी पॅनल्स की सुविधा के साथ कई तरह की एलर्जीज की जाँचें उपलब्ध हैं।
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