पुस्तकालय केवल पुस्तकों का संग्रह नहीं, बल्कि चिंतन, मनन और शोध का विशाल भंडार होता है। छात्रों और नई पीढ़ी को आज के डिजिटल युग में भी पुस्तकालयों के महत्व से अवगत कराने के उद्देश्य से कोलकाता के श्री जैन विद्यालय में आधुनिक “मदन कुमार मेहता स्मृति पुस्तकालय” की स्थापना की गई है।
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ ज़िले के बड़ी सादड़ी के श्री मदन कुमार जी मेहता ने अपना पूरा जीवन जैन दर्शन और साहित्य को समर्पित किया। जैन आगम ग्रंथों के गहन अध्ययन और शोध के माध्यम से उन्होंने हिंदी अनुवाद कृति “श्री भागवत सूत्र” की रचना की, जिससे जैन धर्म का गूढ़ ज्ञान आम पाठकों तक पहुँच सका। उन्होंने एक महत्वपूर्ण कार्य करते हुए जैन ग्रंथों को डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया परियोजना के तहत भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के माध्यम से डिजिटली संरक्षित भी कराया।
उद्घाटन समारोह में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक कुमार गांगोपाध्याय मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर दिवंगत मदनबाबू की पत्नी शांता कुमारी मेहता, डॉ. अमित कुमार राय, विद्यालय अध्यक्ष विनोद कंकड़िया एवं सरदार मल कंकड़िया, प्राचार्य संजय कुमार पांडेय, सचिव मनोज कुमार बोथरा, श्रीमती कल्पना सुधीर मेहता समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
न्यायमूर्ति गांगोपाध्याय ने कहा — “शिक्षा के बिना समाज की प्रगति असंभव है। यह पहल आने वाली पीढ़ियों को सही दिशा प्रदान करेगी।”
सुधीर कुमार मेहता ने अपने वक्तव्य में कहा — “आधुनिक डिज़ाइन और डिजिटल शिक्षण सुविधाओं से युक्त यह पुस्तकालय छात्रों को ऑनलाइन संसाधनों, ई-जर्नल और शैक्षणिक डेटाबेस तक पहुँच प्रदान करेगा। इससे वे उच्च शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और नए विचारों एवं दृष्टिकोणों का विकास कर सकेंगे।”
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