कोटा निवासी 75 वर्ष के दयानंद शर्मा (परिवर्तित नाम) के पेट में बड़ा ट्यूमर होने के कारण जान का खतरा बना हुआ था। पूर्व में भी कैंसर की दो बार सर्जरी होने और उम्र अधिक होने के कारण इस बार सर्जरी मुश्किल थी। लेकिन शहर के सीके बिरला हॉस्पिटल के अनुभवी डॉक्टर्स की टीम ने ना सिर्फ सर्जरी बल्कि सर्जरी के बाद आए कार्डियक अरेस्ट को भी मैनेज करते हुए मरीज की जान बचाई और उन्हें नया जीवन प्रदान किया।
पैंक्रियाज से शुरू हुआ कैंसर ट्यूमर –
सीके बिरला हॉस्पिटल में यह सर्जरी करने वाले सीनियर जीआई सर्जन डॉ. बी.डी. सोनी ने बताया कि मरीज के पैंक्रियाज में कैंसर ट्यूमर बनना शुरू हुआ था जो बाईं किडनी, बड़ी आंत के कुछ हिस्से और भोजन थैली यानी पेट तक फैल गया था। इस ट्यूमर को तुरंत निकालना बहुत आवश्यक था क्योंकि यह कैंसरस ट्यूमर था और मरीज को इसके कारण पेट में तेज दर्द रहता था। मरीज को पहले ओरल कैंसर भी हो चुका था जिसकी सर्जरी पूर्व में की जा चुकी है। ऐसे में मरीज की दोबारा सर्जरी करने में जोखिम था। ट्यूमर निकालने के लिए हमने रेडिकल एंटीग्रेड मॉड्यूलर पैंक्रियाटोस्प्लीनेक्टमी (रैंप्स) प्रोसीजर किया। इसके अंतर्गत अंदरूनी संरचना को सीटी स्कैन जांच द्वारा अच्छे से देखकर सर्जरी प्लान की गई। 6 घंटे चली सर्जरी में सभी नर्व, खून की नसों का ध्यान रखते हुए ट्यूमर को अंगों समेत निकाल दिया गया।
सर्जरी के दूसरे ही दिन आया कार्डियक अरेस्ट –
मरीज को सर्जरी के दूसरे ही दिन कार्डियक अरेस्ट आ गया और करीब 30 मिनट तक मरीज का हार्ट बंद रहा। ऐसे में हॉस्पिटल की मल्टीस्पेशियलिटी बैकअप टीम ने उन्हें लगातार सीपीआर देकर पंप किया और कार्डियक शॉक देकर उन्हें रिवाइव किया। कुछ दिन वेंटीलेटर पर रहने के बाद उन्हें सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया गया और स्वस्थ होने के बाद सर्जरी के 16वें दिन उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। डॉ. बी.डी. सोनी ने कहा कि जटिल सर्जरी के बाद मल्टीस्पेशियलिटी बैकअप टीम के साथ टीम वर्क करते हुए हम मरीज को बचाने में सफल रहे। सर्जरी के दौरान एडिशनल डायरेक्टर डॉ. सौरभ कालिया का विशेष सहयोग रहा।
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