क्रिकेट का खुला मैदान, वही बैट-बॉल और दोनों ओर 11-11 खिलाड़ी। लेकिन ये खिलाड़ी थे किडनी ट्रांसप्लांट केसेस में होने वाले किडनी डोनर्स और रेसिपिएंट, जिन्होंने क्रिकेट के मैदान में खूब चौके छक्के जमाए। यह अनोखा क्रिकेट मैच शहर के सीके बिरला हॉस्पिटल द्वारा आयोजित हुआ जहां डॉक्टर्स भी पेशेंट्स के साथ मैदान पर नजर आये । यह किडनी क्रिकेट मैच किडनी पेशेंट्स वेलफेयर सोसाइटी और ट्रांसप्लांट स्पोर्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के संयोजन से हुआ जिसमें किडनी रेसिपिएंट टीम ने जीत दर्ज कर ये मैसेज दिया की किडनी डोनेट करने के बाद किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता हैं |
हॉस्पिटल के डायरेक्टर यूरोलॉजी डॉ. देवेन्द्र शर्मा ने बताया कि किडनी डोनर्स और रेसिपिएंट दोनों ट्रांसप्लांट के बाद सामान्य जीवन जी सकते हैं। इसका उदाहरण पेश करने के लिए हमने इस क्रिकेट मैच का आयोजन किया। इस एक्टिविटी से ऐसे मरीजों को भी हिम्मत मिली है जिन्हें भविष्य में किडनी ट्रांसप्लांट करवाने की आवश्यकता हो सकती है। हॉस्पिटल के सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. अश्विनी शर्मा ने कहा कि कुछ सावधानियों का ध्यान रखते हुए किडनी रेसिपिएंट बिल्कुल सामान्य जीवन जी सकते हैं। अब किडनी ट्रांसप्लांट में नई तकनीक और दवाओं से ट्रांसप्लांट प्रक्रिया भी आसान हो गई है। वहीं सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. शीलभद्र जैन ने बताया कि आमजन में किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर अब जागरूकता बढ़ रही है। पहले की तरह किडनी डोनेट करने में जो भ्रांतियां थीं, काफी कम हो गई हैं।
इस मौके पर हॉस्पिटल के वाईस प्रेसिडेंट एवं यूनिट हेड अनुभव सुखवानी ने कहा कि सीके बिरला हॉस्पिटल द्वारा हमेशा यह प्रयास किया जाता है कि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज यहां से सुखद अनुभव ही लेकर जाए। हॉस्पिटल का विश्वस्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर और अनुभवी डॉक्टर्स की टीम अपने सभी मरीजों को मल्टीस्पेशियलिटी बैकअप देती है।
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