फटे मोज़े पहनने के कारण प्रसिद्ध हुए आई आई टी बॉम्बे के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने एक दुर्लभ और क्रांतिकारी कदम उठाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ज्ञात है की प्रोफ. सोलंकी एक सौर वैज्ञानिक और जलवायु योद्धा है, जिन्हें अक्सर भारत का “सौर पुरुष” और “सौर गांधी” कहा जाता है। उन्होंने ऐसा इसलिए किया है ताकि वे खुद को पूरी तरह जलवायु परिवर्तन जैसे गहरे संकट से मानवता को बचाने के लिए अपने आपको समर्पित कर सके। उन्होंने कहा की मेरा त्यागपत्र सिर्फ “एक करियर में बदलाव नहीं, बल्कि कर्तव्य का आह्वान है।” “आईआईटी बॉम्बे ने मुझे प्रतिष्ठा दी, लेकिन अब FEM में उद्देश्य का बीज छिपा है।”
प्रोफ़ेसर सोलंकी ने आईआईटी बॉम्बे में दो दशक से ज़्यादा समय बिताया है, सौर ऊर्जा शिक्षा और अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभाते हुए – सोलर विषय पर कई किताबें लिखीं, पेटेंट हासिल किये, ऑनलाइन पाठ्यक्रम तैयार किए और सोलर ऊर्जा पर भारत का सबसे बड़ा रिसर्च सेण्टर भी स्थापित किया।
मध्य प्रदेश के एक छोटे से अनजान गाँव के एक साधारण किसान परिवार से आने के बाद, आईआईटी बॉम्बे से मास्टर डिग्री करके, उन्होंने यूरोप में सोलर ऊर्जा पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, और वर्ष २००४ में अपने देश की सेवा के लिए भारत लौट आए। धीरे धीरे वह सोलर ऊर्जा विषय पर भारत की अग्रणी आवाज़ों में से एक बन गए।
वर्ष 2020 में प्रोफ. सोलंकी ने जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर विषय के प्रति अवेयरनेस लाने और आम नागरिको, शैक्षणिक संस्थाओ और सरकारी तंत्र को सही दिशा में एक्शन लेने के लिए एक विशेष सोलर बस के द्वारा एनर्जी स्वराज यात्रा चालू की जिसका समापन 2030 में होगा। इस यात्रा के दौरान उन्होंने ११ साल घर नहीं जाने का संकल्प भी लिया और उनकी सोलर बस को ही अपना घर बना लिया। पिछले पांच सालो में, उन्होंने सोलर बस में रहकर पुरे देश में 68000 km की यात्रा की और करीब 1650 से ज्यादा व्याख्यान जलवायु परिवर्तन विषय पर दिए। उन्होंने अपनी यात्रा में आम आदमी और संस्थाओ की जलवायु परिवर्तन के प्रति निष्क्रियता को भी समझा और समाधान के लिए कई प्रोग्राम बनाये जैसे ऊर्जा साक्षरता, इंदौर क्लाइमेट मिशन इत्यादि।
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