परिचय
बरसात के दिनों में झोटवाड़ा और आसपास के क्षेत्रों में जलभराव की समस्या एक सामान्य दृश्य रही है। बारिश शुरू होते ही गलियाँ पानी से भर जाती थीं, नालियाँ ओवरफ्लो हो जाती थीं और सड़कों पर कीचड़ फैल जाता था। यह स्थिति केवल आवागमन को बाधित नहीं करती थी, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन जाती थी।
झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक और राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने इस चुनौती को लंबे समय से महसूस किया और अब इसे स्थायी रूप से हल करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। उनका विज़न साफ़ है— सड़क और नाली को अलग नहीं, बल्कि एकीकृत तरीके से विकसित करना।
समस्या की जड़: अधूरा इंफ्रास्ट्रक्चर
झोटवाड़ा में लंबे समय तक देखा गया कि सड़कों का निर्माण तो हुआ, लेकिन नालियों की मरम्मत और सफाई को नजरअंदाज कर दिया गया। परिणाम यह हुआ कि पहली ही बारिश में सड़कों पर पानी जमा होने लगा और नई बनी सड़कें भी टूटने लगीं।
इसके अलावा, नालियों की चौड़ाई और गहराई पर्याप्त नहीं थी। गंदगी और कचरे से भरी नालियाँ आसानी से जाम हो जाती थीं। स्थानीय लोगों को बरसात में घंटों घरों में बंद रहना पड़ता था। दुकानदारों का कारोबार ठप हो जाता था और बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती थी।
राठौड़ की पहल: सड़क और नाली का समन्वय
कर्नल राठौड़ ने स्पष्ट कहा है कि विकास का असली मतलब है लंबे समय तक टिकने वाला समाधान। उनका कहना है, “जब तक नाली और सफाई की व्यवस्था पूरी नहीं होगी, सड़क का काम अधूरा रहेगा।”
उनकी नई योजना के तहत झोटवाड़ा क्षेत्र में सड़क और नाली का कार्य एक साथ किया जा रहा है।
- पुरानी नालियों का चौड़ीकरण और गहराई बढ़ाई जा रही है।
- नालियों की नियमित सफाई और कचरा निस्तारण की व्यवस्था बनाई गई है।
- सड़कों को मजबूती और जलनिकासी के साथ डिजाइन किया जा रहा है ताकि बारिश का पानी तुरंत बह सके।
यह समन्वित मॉडल केवल तत्काल राहत के लिए नहीं, बल्कि आने वाले दशकों के लिए क्षेत्र को जलभराव से बचाने की दिशा में है।
स्थानीय प्रभाव और जनता की राहत
इस परियोजना का असर झोटवाड़ा की कई कॉलोनियों और मोहल्लों में दिखना शुरू हो गया है। जिन जगहों पर हर साल बारिश में लोग परेशान रहते थे, वहाँ अब नाली और सड़क के काम के चलते स्थिति में सुधार हो रहा है।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि अब दुकानों में पानी घुसने का डर नहीं रहेगा। स्कूल जाने वाले बच्चों को जलभराव से जूझना नहीं पड़ेगा और बुज़ुर्गों को बीमारियों का खतरा कम होगा। यह सुधार केवल भौतिक नहीं है, बल्कि लोगों की मानसिक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य और स्वच्छता पर असर
जलभराव केवल असुविधा ही नहीं, बल्कि बीमारियों का बड़ा कारण भी है। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियाँ गंदे पानी में पनपने वाले मच्छरों से फैलती हैं।
कर्नल राठौड़ की पहल से नालियों की सफाई और चौड़ीकरण होने से इन बीमारियों के प्रसार को भी रोका जा सकेगा। यह कदम स्वच्छ भारत मिशन की भावना के अनुरूप है, जहाँ स्वच्छता को स्वास्थ्य और विकास दोनों की नींव माना जाता है।
आर्थिक दृष्टिकोण से लाभ
सड़क और नाली निर्माण के इस मॉडल से आर्थिक स्तर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- व्यापारियों और दुकानदारों को बारिश में होने वाले नुकसान से बचाव मिलेगा।
- परिवहन और यातायात सुचारू रहेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
- मजदूरों और निर्माण कार्य से जुड़े लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
इस तरह यह योजना केवल इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार नहीं है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति देने वाला कदम है।
राष्ट्रीय दृष्टिकोण: मोदी सरकार की नीतियों से मेल
कर्नल राठौड़ की यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास नीतियों के साथ तालमेल रखती है।
- स्वच्छ भारत मिशन – सफाई और स्वच्छता पर जोर
- स्मार्ट सिटी मिशन – आधुनिक और टिकाऊ इंफ्रास्ट्रक्चर
- अमृत योजना – शहरी क्षेत्रों में जलनिकासी और बुनियादी ढाँचे का विकास
झोटवाड़ा में हो रहा काम दिखाता है कि कैसे स्थानीय स्तर पर भी भाजपा सरकार की नीतियों को ज़मीन पर उतारा जा रहा है।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने इस कदम की जमकर सराहना की है। एक निवासी ने कहा, “पहले नेता केवल वादे करते थे, लेकिन अब हमें असली बदलाव दिख रहा है। बरसात में पहली बार हमें उम्मीद है कि पानी से जूझना नहीं पड़ेगा।”
दूसरी ओर, युवा वर्ग का मानना है कि यह विकास उनके क्षेत्र को अन्य इलाकों के मुकाबले आगे ले जाएगा और झोटवाड़ा की पहचान बदलेगा।
भविष्य की संभावनाएँ
राठौड़ ने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले समय में झोटवाड़ा की अन्य कॉलोनियों और गाँवों में भी इसी मॉडल पर काम होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि हर क्षेत्र में सड़क और नाली का काम एक साथ ही किया जाए, ताकि लोगों को लंबे समय तक राहत मिले।
अगर यह पहल सफल होती है, तो झोटवाड़ा राजस्थान के उन इलाकों में शामिल हो सकता है जो स्थायी जलभराव मुक्त मॉडल के रूप में पहचाने जाएँगे।
निष्कर्ष
झोटवाड़ा में सफाई-नाली और सड़क निर्माण कार्य का यह समन्वित मॉडल केवल एक निर्माण परियोजना नहीं है, बल्कि यह लोगों की दशकों पुरानी समस्या का स्थायी समाधान है।
कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का यह कदम दिखाता है कि वे विकास को केवल सतही स्तर पर नहीं देखते, बल्कि लोगों की असली ज़रूरतों को समझकर काम करते हैं। यह पहल आने वाले वर्षों में झोटवाड़ा को न सिर्फ़ जलभराव से मुक्त करेगी, बल्कि एक स्वच्छ, स्वस्थ और विकसित क्षेत्र के रूप में स्थापित करेगी।
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