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अनरेगुलेटेड डिपोजिटरी योजनाओं के खिलाफ ईडी की कार्रवाई को एडीएसईआई का समर्थन

 एसोसिएशन ऑफ डायरेक्ट सेलिंग एंटिटीज ऑफ इंडिया (एडीएसईआई) ने हाल ही में अनरेगुलेटेड डिपोजिटरी स्कीम चलाने वालों के खिलाफ की गई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई का समर्थन किया है। ऐसी योजनाओं में निवेशकों को ज्यादा रिटर्न के झूठे वादों से लुभाया जाता है।एडीएसईआई का मानना है कि लोगों को वित्तीय धोखाधड़ी से बचाने और ज्यादा पारदर्शी एवं सुरक्षित वित्तीय व्यवस्था बनाने के लिए इस तरह के सख्त एवं निर्णायक कदम जरूरी हैं।

ईडी की कार्रवाई की सराहना करता हुए एडीएसईआई ने जोर देकर कहा कि कार्रवाई को केवल ऐसी योजनाओं के प्रमोटर्स तक सीमित नहीं रखना चाहिए। इन पर नियंत्रण के लिए जरूरी है कि इससे जुड़े एजेंट्स और टॉप अर्नर्स को भी जवाबदेह ठहराया जाए,जिन्होंने सच जानते हुए भी इन योजनाओं में हिस्सा लिया और निर्दोष निवेशकों की कीमत पर खुद लाभ कमाया। ये लोग सिर्फ ऐसी योजनाओं से जुड़कर कमाई करने वाले लोग नहीं हैं, बल्कि ये ऐसे लोग हैं, जिन्होंने सब कुछ जानते हुए भी लोगों को लुभाकर इस जाल में फंसाया।

एडीएसईआई के वाइस प्रेसिडेंट श्री जीतेंद्र नागर ने कहा, ‘यह सब किसी एक व्यक्ति या केस की बात नहीं है। इतिहास गवाह है कि जब तक ऐसी योजनाओं के प्रमोटर्स आजाद घूमते रहेंगे, वे नए-नए नामों से योजनाएं बनाते और लोगों को ठगते रहेंगे। वर्तमान में उन पर की गई कार्रवाई भविष्य में ऐसी योजनाओं को उभरने से रोकेगी। हम ईडी व अन्य नियामकों से अपील करते हैं कि अपनी कार्रवाई को बढ़ाएं और हर उस व्यक्ति को इसके दायरे में लाएं, जिन्होंने निवेशकों को गुमराह किया है और ऐसी योजनाओं से लाभ कमाया है।’

एडीएसईआई का कहना है कि इस दिशा में स्थायी समाधान की जरूरत है, जिससे यह सुनिश्चित हो कि ऐसी योजनाएं फिर नाम बदलकर सामने न आ जाएं। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाने होंगे:

1.   प्रमोटर्स एवं एजेंट्स के खिलाफ कार्रवाई– इन योजनाओं से कमाने वाले बहुत से प्रमोटर्स जानते थे कि ये फर्जी संस्थान निवेशकों को गुमराह कर रहे हैं। इसके बावजूद अपने फायदे के लिए उन्होंने इन योजनाओं की पैरवी की और हजारों निवेशकों को बहकाया। इन योजनाओं के ऑपरेटर्स पर ही नहीं, बल्कि उन लोगों पर भी नियामकीय कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने जानबूझकर लोगों को गुमराह किया।

2.   एक समर्पित रिपोर्टिंग चैनल की स्थापना– एडीएसईआई ने सुझाव दिया है कि ईडी या अन्य संबंधित नियामकों को हेल्पलाइन या रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म बनाना चाहिए, जहां लोग बिना अपनी पहचान बताए ऐसी योजनाओं के प्रमोटर्स एवं एजेंट्स का नाम बता सकें। इससे प्रवर्तन एजेंसियों को समय रहते ऐसे लोगों को पहचानने और कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।

3.   बचाव के सख्त प्रावधान: ऐसी योजनाओं की सफलता पूरी तरह से इनके नेटवर्क और मार्केटिंग की भ्रामक रणनीतियों पर निर्भर करती है। इनसे जुड़े लोगों पर मजबूत नियामकीय कार्रवाई से भविष्य में ऐसी योजनाओं के पुनः उभरने का खतरा कम होगा और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

एडीएसईआई के प्रेसिडेंट डॉ. संजीव कुमार ने कहा, “हम ऐसी योजनाओं का सख्ती से विरोध करते हैं। हालांकि यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि डायरेक्ट सेलिंग उद्योग किस तरह से जमीनी स्तर पर रोजगार सृजित करने और देश के आर्थिक विकास में योगदान दे रहा है। यह 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य के अनुरूप है। लाखों लोगों को सशक्त करने के लिए डायरेक्ट सेलिंग उद्योग में भरोसेमंद एवं सतत नीतियों व फ्रेमवर्क के निर्माण में सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए एडीएसईआई प्रतिबद्ध है।”

डॉ. संजीव कुमार ने आगे कहा, “एडीएसईआई वित्तीय धोखाधड़ी पर लगाम लगाने और निवेशकों की सुरक्षा के लिए सभी नियामकीय कदमों का समर्थन करता है। हम अधिकारियों से अपील करते हैं कि ऐसी धोखाधड़ी वाली योजनाओं से जुड़े सभी प्रमोटर्स एवं एजेंट्स के खिलाफ सख्त कदम उठाएं। इससे सुनिश्चित होगा कि भविष्य में नए नाम के साथ ऐसी योजनाएं फिर सिर न उठा सकें।”