भारत में अभी दुनिया की सर्वाधिक युवा कार्यशील आबादी (यंग वर्किंग पॉपुलेशन) है। इस जनसांख्यिकीय (डेमोग्राफिक) विशेषता के साथ-साथ एक चुनौती भी खड़ी हो रही है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है कि आज की यह कार्यशील आबादी भविष्य की रिटायर्ड आबादी होगी। इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 2050 तक 65 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 10.5 प्रतिशत से बढ़कर 20.8 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। इसका अर्थ है कि मात्र ढाई दशक में देश की जनसंख्या में वरिष्ठ नागरिकों की हिस्सेदारी दोगुनी हो जाएगी।
इस मामले में यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि भारत में जीवन प्रत्याशा 1950 के 35.12 वर्ष की तुलना में करीब दोगुनी होकर 2022 में 70.19 वर्ष हो गई है। मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर वी विश्वानंद का मानना है कि जीवन प्रत्याशा बढ़ना सकारात्मक है, क्योंकि यह स्वास्थ्य सेवा और जीवन की गुणवत्ता में सुधार का प्रतीक है। लेकिन, इसके साथ कुछ चुनौतियां भी आती हैं। यह तस्वीर रिटायरमेंट प्लानिंग की जरूरत भी दिखाती है। साथ ही यह भी जरूरी है कि रिटायरमेंट प्लानिंग को सिर्फ पैसे से जोड़कर देखने के बजाय इसे रिटायरमेंट के बाद के जीवन की पूरी देखभाल पर केंद्रित किया जाए। इसके लिए निम्नलिखित कुछ बातों पर ध्यान देने की जरूरत है।
नियमित और जल्दी निवेश: नियमित बचत, निवेश और समझदारी भरे वित्तीय निर्णय रिटायरमेंट के बाद के जीवन के लिए सेफ्टी नेट की तरह काम करेंगे। शहरों में रहने वाले बहुत से लोगों को लगता है कि उनके पास पर्याप्त संपत्ति है या फिर बच्चे उनकी देखभाल कर लेंगे। हालांकि, हाल में किए गए एक रिटायरमेंट सर्वे के मुताबिक, एक तिहाई शहरी आबादी को चिंता है कि उनकी पूरी बचत रिटायरमेंट के बाद के मात्र पांच साल में खत्म हो जाएगी।
रिटायरमेंट प्लानिंग और निवेश की जल्दी शुरुआत से आप महंगाई के असर से बचते हैं और सेवानिवृत्ति के बाद की जरूरतें भी पूरी करने में सक्षम होते हैं। रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों के लिए फंड जमा करने के लिए कंपाउंडिंग ग्रोथ एक प्रभावी तरीका है। सर्वोत्तम परिणाम के लिए जल्दी और लगातार योगदान की आवश्यकता होती है। रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए आपके पास कई विकल्प हैं। हालांकि, भारत में सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ जैसे पेंशन, ग्रेच्युटी आदि पर राशि और प्रकार के हिसाब से अलग-अलग टैक्स देना पड़ता है। टैक्स के कारण आपका फंड लक्ष्य से कम हो जाता है। इसलिए सेविंग्स के अलग-अलग विकल्प चुनना बेहतर है, जिनमें टैक्स-सेविंग ऑप्शन भी शामिल हैं।
निवेश पोर्टफोलियो में विविधता: पेंशन प्लान और एन्युटी से उम्र बढ़ने के साथ आने वाले जोखिम से सुरक्षा सुनिश्चित होती है। इनसे इस बात की गारंटी मिलती है कि रिटायर्ड लोग पैसे खत्म होने की चिंता किए बिना उच्च जीवन स्तर (हाई लिविंग स्टैंडर्ड) और नियमित आय का स्रोत बनाए रख सकते हैं। इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव एवं रिस्क टॉलरेंस और शॉर्ट टर्म रिस्क हेजिंग एवं लॉन्ग टर्म गेन कंसोलिडेशन के बीच संतुलन बनाना ही इसके पीछे का रहस्य है। इसके लिए पोर्टफोलियो में विविधता की रणनीति काम करती है।
वर्तमान समय में पोर्टफोलियो में विविधता के लिए स्मॉल-कैप और मिड-कैप म्यूचुअल फंड बेहतरीन विकल्प हैं। विशेष रूप से स्मॉल-कैप फंड निवेशकों की संपत्ति को कई गुना बढ़ा सकते हैं और इन्हें ऐसे निवेशक पसंद करते हैं जो इनके हाई रिस्क का सामना करने के इच्छुक हैं। इसकी तुलना में, मिड-कैप म्यूचुअल फंड में जोखिम कम होता है। इससे भी निवेशकों की संपत्ति में वृद्धि हो सकती है, लेकिन संभवत: स्मॉल-कैप फंड के बराबर नहीं। दोनों ही विकल्प लंबी अवधि में कंपाउंडिंग ग्रोथ और पर्याप्त रिटायरमेंट फंड बनाने के अच्छे विकल्प हैं।
अपने स्वास्थ्य और परिवार के सपोर्ट को प्राथमिकता दें: जब कोई शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होता है तो बुढ़ापा धीरे-धीरे आता है। रिटायरमेंट प्लानिंग में स्वास्थ्य और स्वास्थ्य संबंधी खर्च पर उचित ध्यान दिया जाना चाहिए। हालिया रिटायरमेंट इंडेक्स स्टडी के अनुसार, लगभग 59 प्रतिशत भारतीय रिटायरमेंट प्लानिंग के समय स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हैं, जबकि 33 प्रतिशत फाइनेंस को सबसे महत्वपूर्ण पहलू मानते हैं। सामाजिक और भावनात्मक पहलू भी इतने ही महत्वपूर्ण हैं। कई शहरी भारतीय रिटायरमेंट को सकारात्मक बदलाव और तनाव मुक्त जीवन की शुरुआत के रूप में देखते हैं।
बात जब रिटायरमेंट प्लानिंग की हो तो कोई तय नियम नहीं है और न ही कोई ‘सही’ या ‘गलत’ अप्रोच है। हममें से प्रत्येक को अपनी-अपनी प्राथमिकताओं, दृष्टिकोण और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय स्वयं लेना चाहिए। चूंकि हममें से अधिकांश लोग अपना जीवन अपने परिवार का सहयोग करने और अपने सपनों को पूरा करने में लगा देते हैं, इसलिए रिटायरमेंट के समय हमारा जीवन सम्मानजनक और आरामदायक रहना चाहिए। रिटायरमेंट के बाद के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करके कोई व्यक्ति अपना फाइनेंशियल फ्यूचर सिक्योर कर सकता है और मनचाही लाइफस्टाइल जी सकता है। इससे रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी आरामदायक और तनाव मुक्त हो सकती है। कुल मिलाकर जरूरत बस एक सोच समझकर बनाए गए व्यापक रिटायरमेंट प्लान की है।
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