बिरला कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमपी बिरला समूह) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 के लिए पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई) नेशनल अवॉर्ड 2023 (द्वितीय पुरस्कार) जीता है। यह अवॉर्ड डॉ. भीमराव अंबेडकर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, जनपथ, नई दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल पब्लिक रिलेशंस फेस्टिवल में कंपनी के प्रतिनिधियों को सौंपा गया। वार्षिक रिपोर्ट की वारली-कला थीम वाले कॉन्सेप्ट को व्यापक रूप से सराहा गया है।
वारली कला भारत की चित्रकला की सबसे पुरानी विधाओं में से एक है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह 10वीं शताब्दी ई.पू. की है। उत्तरी सह्याद्रि रेंज के जनजातीय लोगों द्वारा पारंपरिक रूप से प्रचलित यह कला प्रकृति के तत्वों और मिट्टी के रंगों को जियोमेट्रिक्ल अरेंजमेंट के साथ जोड़ती है। वारली वास्तव में महाराष्ट्र और भारत की महान विरासतों में से एक है। पारंपरिक शैली को ध्यान में रखते हुए, वारली चित्र अनौपचारिक और खूबसूरत होते हैं, जबकि इनमें सौम्यता की ताकत का तत्व होता है।
श्री संदीप घोष, एमडी और सीईओ, बिरला कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने कहा कि “इस बार कंपनी को महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के मुकुटबन में हमारे नवीनतम ग्रीन-फील्ड इंटीग्रेटेड सीमेंट मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के नजरिए से पेश करने का प्रयास किया गया, जिसकी वार्षिक स्थापित क्षमता 3.9 मिलियन टन है और इसे 2,744 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया। चूंकि मुकुटबन महाराष्ट्र में है इसलिए हमने महाराष्ट्रीयन कला विरासत को दर्शाते हुए वारली कला मार्ग को चुना है।”
वारली कला प्रकृति के करीब है, जो वनस्पतियों, जीवों और उत्सवों के डिजाइन के साथ-साथ ग्रामीण लोगों के दैनिक जीवन में भी झलकती होती है। कंपनी ने अपनी मुकुटबन प्लांट में परिचालन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए करीब 81,000 पेड़ लगाए हैं। बिरला कॉर्पोरेशन लिमिटेड वर्षा जल संचयन में अग्रणी है। यह जितना पानी खर्च करता है उससे तीन/चौगुना पानी प्राप्त करता है। अधिकांश प्लांट्स में पानी को ठंडा करने के विपरीत, मुकुटबन में कैप्टिव पावर प्लांट को एयरकूल्ड किया जाता है। परिणामस्वरूप मुकुटबन प्लांट वाटर पॉजिटिव है।
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