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रूक्मणी बिरला हॉस्पिटल में टावी तकनीक से हुआ वॉल्व रिप्लेसमेंट

हार्ट फेलियर की शिकायत लिए हॉस्पिटल की इमरजेंसी में पहुंचे 75 वर्षीय शांतिलाल (परिवर्तित नाम) को अत्याधुनिक तकनीक और डॉक्टर्स के प्रयासों ने नया जीवन दिया। शहर के रूक्मणी बिरला हॉस्पिटल में डॉक्टर्स ने टावी (ट्रांस कैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट) तकनीक से वॉल्व बदल कर मरीज को नया जीवन दिया। खास बात यह रही कि वॉल्व बदलने के साथ ही मरीज की एलएडी और डायगनल कोरोनरी आर्टरी में भी जटिल बायफर्केशन स्टेंटिंग प्रोसीजर कर ब्लॉकेज सही किए गए। सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण चंद्रा और रूक्मणी बिरला हॉस्पिटल के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमित गुप्ता, डॉ संजीब रॉय एवं डॉ आलोक माथुर की टीम ने यह बेहद जटिल केस किया। 

डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि मरीज को सांस फूलने और चक्कर आने के लक्षण आने के कारण इमरजेंसी में भर्ती किया गया था। यहां उनकी जांच की गई तो सामने आया कि उन्हें एओर्टिक स्टेनॉसिस है जिसमें उनके हार्ट का एओर्टिक वॉल्व गंभीर रूप से सिकुड़ा हुआ था। साथ ही एलएडी और डायगनल कोरोनरी आर्टरी में भी गंभीर ब्लॉकेज था। ऐसे में मरीज की सर्जिकल वॉल्व रिप्लेसमेंट और बायपास सर्जरी की जानी थी लेकिन सर्जरी के जोखिम और देरी से रिकवरी के कारण नॉन सर्जिकल प्रोसीजर करने का निर्णय लिया गया। 

तीन घंटे में हुआ प्रोसीजर – 

मरीज के तीन ब्लॉकेज ठीक करने और वॉल्व बदलने की प्रक्रिया में तीन घंटे का समय लगा। डॉ. अमित गुप्ता ने जानकारी दी कि पैर की नस के जरिए कैथेटर की मदद से कृत्रिम वॉल्व को इंप्लांट कर दिया था। डॉ संजीब रॉय ने बताया की साथ में ही बायफर्केशन प्रोसीजर से दोनों नसों में 3 स्टेंट लगाकर मरीज को बड़ी सर्जरी से बचा लिया। प्रोसीजर के सिर्फ 2 दिन बाद ही मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।