Home » अपोलो हॉस्पिटल्स में 25 साल में 4300 लोगो का लिवर प्रत्यारोपण
Featured Health Care

अपोलो हॉस्पिटल्स में 25 साल में 4300 लोगो का लिवर प्रत्यारोपण

1998 में अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने भारत में पहली बार बच्चों का लिवर प्रत्यारोपण करने की पहल शुरू की। तब डॉक्टरों ने एक 20 महीने के बच्चे का सफल प्रत्यारोपण किया जो आज खुद एक डॉक्टर बनकर मरीजों की सेवा कर रहा है। इस सफलता ने डॉक्टरों की हौसलाफजाई की जिसका परिणाम है कि अब 25 साल बाद अपोलो अस्पताल के डॉक्टर न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के 50 से भी ज्यादा देशों के कुल 4300 मरीजों का सफल लिवर प्रत्यारोपण कर चुके हैं जिनमें 515 बच्चे हैं। इन सभी के लिए अपोलो के डॉक्टर किसी संजीवनी से कम भी नहीं है जिन्होंने अपने अनुभव और ज्ञान से इन्हें नया जीवन दिया।

वहीं नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के प्रबंध निदेशक श्री शिवकुमार पट्टाभिरामन ने कहा, ” अंग प्रत्यारोपण में भारत की प्रमुखता बढ़ रही है। 25 वर्षों की समृद्ध विरासत के साथ अपोलो में हम लिवर प्रत्यारोपण को लेकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि का जश्न मना रहे हैं, जिसने भारत के चिकित्सा क्षेत्र में एक अग्रणी शक्ति के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है। यह संस्थान लिवर प्रत्यारोपण में वैश्विक मानक स्थापित करते हुए असाधारण देखभाल और अभूतपूर्व प्रगति के प्रतीक के रूप में खड़ा है। लिवर प्रत्यारोपण को आगे बढ़ाने के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता और चिकित्सा विज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाने के निरंतर प्रयास हमारे रोगियों के लिए सर्वोत्तम परिणाम देने की प्रतिज्ञा को रेखांकित करते हैं।”

अपोलो हॉस्पिटल्स के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर और वरिष्ठ बाल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अनुपम सिब्बल ने कहा, “आज का दिन भारतीय चिकित्सा प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अपोलो इंस्टीट्यूट में लिवर ट्रांसप्लांट कार्यक्रम 25 साल पहले शुरू हुआ था, जो भारत के चिकित्सा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण क्षण था। संजय जैसे रोगियों द्वारा दिखाए गए भरोसे के साथ मिलकर इस अभूतपूर्व पहल ने अपोलो इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसप्लांट को 4300 से अधिक लिवर के सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण करने में मदद मिली है। इसमें बच्चों के 515 प्रत्यारोपण भी शामिल हैं।”

भारत में बाल चिकित्सा लीवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम के 25 साल पूरे होने पर अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप ने एक कार्यक्रम को जश्न जैसा मनाया। इस दौरान प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री सुश्री डिंपल कपाड़िया भी मौजूद रहीं जिन्होंने अपोलो हॉस्पिटल्स और मरीजों की पूरी यात्रा सुनने के बाद कहा, ”दिल चाहता है फिल्म में, मेरे किरदार तारा जयसवाल के रूप में था जिसकी मौत साइलेंट किलर लिवर सिरोसिस की वजह से होती है। तब तारा की मौत इसलिए होती है क्योंकि भारत में इलाज मौजूद नहीं था लेकिन आज लिवर प्रत्यारोपण एक जीवन रक्षक थेरेपी है जो हर दिन लोगों की जान बचाती है।”