जिलेट, ओरल-बी, व्हिस्पर, आदि जैसे ब्राण्ड्स की निर्माता, प्रॉक्टर एंड गैम्बल इंडिया (पीएंडजी इंडिया) ने अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस से पहले जानकारी दी है कि कंपनी प्रोजेक्ट प्रगति के माध्यम से, महिलाओं और ट्रांसजेंडर समुदाय की डिजिटल अपस्किलिंग कर रही है। यह डिजिटल अपस्किलिंग की विशेष पहल कंपनी के प्रमुख कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम ‘पीएंडजी शिक्षा’ का एक हिस्सा है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) (2020-21) के अनुसार, भारत के शहरी इलाकों की 70 प्रतिशत महिलाओं ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या 49.6 प्रतिशत है। इससे महिलाओं की डिजिटल साक्षरता में एक बड़ा लैंगिक अंतर दिखता है, जो कि महानगरीय क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में अधिक स्पष्ट है। इसे देखते हुए, प्रथम इंफोटेक फाउंडेशन और हमसफर ट्रस्ट के साथ भागीदारी में प्रयोग के तौर पर शुरू हुई इस पहल का लक्ष्य हाशिये पर खड़े समुदायों की रोजगार योग्यता बढ़ाने में मदद करना और उन्हें भविष्य के लिये आत्मनिर्भर बनाना है। इसके लिये उन्हें महत्वपूर्ण डिजिटल कुशलताओं से सुसज्जित किया जाएगा, जो कि टेक्नोलॉजी के युग में अनिवार्य हो गई हैं। पायलट प्रोजेक्ट के हिस्से के तौर पर, यह कार्यक्रम 600 से ज्यादा महिलाओं और ट्रांसजेंडर्स पर सकारात्मक असर डाल चुका है और एक ऐसी दुनिया बनाने के लिये पीएंडजी इंडिया की प्रतिबद्धता दिखा रहा है, जहाँ सभी के लिये समानता और समावेशिता हो – कंपनी के भीतर और बाहर, दोनों जगहों पर।
इसके अलावा, कंपनी की सीएसआर सम्बंधी कोशिशों को पूरा करते हुए, उसके कर्मचारी भी वालंटीयर्स के रूप में आगे आते हैं और उन समुदायों के लिये डिजिटल अपस्किलिंग के प्रशिक्षण में भाग लेते हैं, जिनके साथ उनका काम होता है। यह रोजगार के अवसरों और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण को ठोस तरीके से प्रभावित करने के लिये होता है। इसके साथ ही, प्रोजेक्ट प्रगति ने 1 लाख से ज्यादा लोगों पर असर डाला है, जिनमें स्कूली छात्रायें, आईटीआई कॉलेजों के ग्रेजुएट विद्यार्थी, महिलायें और ट्रांसजेंडर समुदाय के लाभार्थी शामिल हैं। यह कार्यक्रम कोर्सेस की एक श्रृंखला में कौशल-आधारित प्रमाणन प्रदान करने के लिये बाहरी सहयोगियों के साथ मिलकर भी काम करता है, जिससे उसकी पहुँच और प्रभाव की व्यापकता बढ़ती है।
पीएंडजी इंडिया ने प्रोजेक्ट प्रगति के हिस्से के तौर पर 5 साल में अल्प सुविधाप्राप्त समुदायों की 5 लाख महिलाओं को डिजिटल अपस्किलिंग के अवसर प्रदान करने के लिये हाल ही में अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा भी की है। इसमें उसे एनजीओ साझेदारों और वालंटीयर कर्मचारियों का साथ मिला है और इसका लक्ष्य है स्टेम (विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित) के क्षेत्रों में समानता एवं समावेश को बढ़ावा देना।
इस मौके पर बात करते हुए, पीएंडजी इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एल.वी. वैद्यनाथन ने कहा, ‘’पीएंडजी में समानता और समावेशन वे मार्गदर्शक तत्व हैं, जो हमें बराबरी वाला कल बनाने के अपने लक्ष्य की दिशा में आगे प्रेरित करते हैं। प्रोजेक्ट प्रगति का जन्म इसी विश्वास से हुआ है और इसका लक्ष्य है डिजिटल साक्षरता में अंतर को दूर करना तथा जरूरतमंद समुदायों को उनकी पूरी क्षमता में जीने के लिये समर्थ बनाना। इसके लिये उन्हें अनिवार्य डिजिटल कुशलतायें प्रदान की जाती हैं, जो कि बीतते समय के साथ महत्वपूर्ण होती जा रही हैं। मुझे उन लोगों पर भी गर्व है, जो इस पहल में भाग लेने के लिये वालंटीयर बनते हैं, ताकि हमसे सेवा प्राप्त करने वाले समुदायों का सकारात्मक बदलाव हो सके। यह वालंटीयर विकास और भलाई की शक्ति के रूप में काम करते हैं।‘’
प्रोजेक्ट प्रगति को हाशिये पर खड़े समुदायों की महिलाओं को अपस्किल करने के लिये प्रायोगिक तौर पर लॉन्च किया गया था। हालाँकि, उसने और भी विकसित होकर ‘प्रगति फॉर प्राइड’ के हिस्से के रूप में ट्रांसजेंडर समुदाय को भी शामिल किया। इसमें उसे प्रथम इंफोटेक फाउंडेशन और हमसफर ट्रस्ट का साथ मिला। सशक्तिकरण पर मजबूती से केन्द्रित होकर इस विस्तार का लक्ष्य वह सारी अनिवार्य डिजिटल कुशलतायें प्रदान करना है, जो आधुनिक रोजगार बाजार में आत्मविश्वास के साथ बढ़ने में लोगों की सहायता करेंगी। इसके अलावा, पीएंडजी इंडिया ने ‘सक्षम’ के लिये भी हमसफर ट्रस्ट के साथ साझेदारी की है। यह अपस्किलिंग प्रोग्राम में दाखिल होने वाले विद्यार्थियों और अल्प सुविधाप्राप्त पृष्ठभूमियों से आने वाले LGBTQ+ समुदाय के अन्य लोगों या जीवन में कटु अनुभवों का सामना कर चुके लोगों के लिये एक विशेष रोजगार मेला है।
अपस्किलिंग प्रोग्राम में बेसिक मॉड्यूल्स शामिल हैं, जैसे कि डिजिटल पेमेंट्स और ई-मेल के बेसिक्स और साथ ही इंटरमीडियेट मॉड्यूल्स, जैसे कि एमएस ऑफिस सूट, आदि। यह अनिवार्य कुशलतायें सीखने में लाभार्थियों की सहायता करेंगे, जिनका आज की तेजी से डिजिटल हो रही दुनिया में सफल होने के लिये जरूरी ज्ञान और कुशलतायें पाने पर बड़ा असर होगा। इसका लक्ष्य है रोजगार योग्यता बढ़ाकर उद्यमिता के लिये रास्ते खोलते हुए वित्तीय समावेशन लाना और सामाजिक लामबंदी के लिये प्रेरणा प्रदान करना।
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