माननीय मंत्री, एमएसएमई, नारायण राणे ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में एमएसएमई सस्टेनेबल (जेड) प्रमाणन स्कीम का शुभारंभ किया। यह स्कीम एमएसएमई को जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट (जेड) संबंधी कार्य पद्धतियों को अपनाने साथ ही उन्हें एमएसएमई चैपियंस बनने के लिए भी प्रोत्साहन प्रदान करते हुए जेड प्रमाणन के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने तथा उनका उत्साहवर्धन करने के लिए एमएसएमई को सक्षम बनाना तथा उन्हें सुविधा प्रदान करने हेतु एक व्यापक पहल है। जेड प्रमाणन की यात्रा के जरिए एमएसएमई अपशिष्ट पदार्थों को बहुत बड़ी मात्रा में कम कर सकते हैं, उत्पादकता बढ़ा सकते हैं, पर्यावरण संबंधी जागरूकता बढ़ा सकते हैं, ऊर्जा की बचत कर सकते हैं, प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग कर सकते हैं और अपने बाजारों का विस्तार कर सकते हैं आदि।
इस स्कीम के अंतर्गत एमएसएमई जेड प्रमाणन की लागत पर निम्नलिखित संरचना के अनुसार, सूक्ष्म उद्यम: 80 प्रतिशत , लघु उद्यम: 60 प्रतिशत एवं मध्यम उद्यम: 50 प्रतिशत सब्सिडी प्राप्त करेंगे
महिलाओं/अ.जा./अ.ज.जा. उद्यमियों के स्वामित्व वाले एमएसएमई अथवा पूर्वोत्तर क्षेत्र/हिमालयी क्षेत्र/चरम वामपंथ प्रभावित क्षेत्रों/द्वीपसमूह क्षेत्रों/आकांक्षी जिलों में कार्यरत एमएसएमई के लिए 10 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, स्फूर्ति अथवा इस मंत्रालय के सूक्ष्म और लघु उद्यम-क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) के भाग के रूप में शामिल एमएसएमई के लिए 5 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट भी प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, जेड में शामिल हो जाने के उपरांत प्रत्येक एमएसएमई को एक सीमित उद्देश्य में सम्मिलित होने की पुरस्कार राशि के रूप में उन्हें 10,000/- रुपए प्रदान किए जाएंगे।
जेड प्रमाणन के अंतर्गत एमएसएमई के लिए हैंडहोल्डिंग तथा परामर्शी सहायता हेतु 5 लाख (प्रति एमएसएमई) तक का प्रावधान किया जाएगा ताकि उन्हें जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट समाधानों की ओर अग्रसर होने हेतु सहायता प्रदान की जा सके। एमएसएमई राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों, वित्तीय संस्थानों आदि द्वारा जेड प्रमाणन के लिए पेशकश किए गए अन्य प्रोत्साहन का भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं तथा एमएसएमई कवच (कोविड-19 सहायता) पहल के अंतर्गत नि:शुल्क प्रमाणन हेतु आवेदन भी कर सकते हैं।
अपने भाषण में केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री नारायण राणे ने यह उल्लेख किया कि जेड में राष्ट्रीय आंदोलन का स्वरूप ग्रहण करने की प्रबल क्षमता है तथा इसका उद्देश्य भारत के एमएसएमई के लिए राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता हेतु एक रोडमैप प्रस्तुत करना है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जेड में केवल उत्पादकता और कार्यनिष्पादन को ही बेहतर बनाने का प्रयास ही नहीं होगा अपितु इसमें विनिर्माताओं की सोच को परिवर्तित करने तथा उन्हें और अधिक पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने की क्षमता है।
इस नई शुरुआत के कुछ ही घंटों के अंदर 1800 से अधिक एमएसएमई ने अपना पंजीकरण करवा लिया और जेड प्रमाणन ले लिया।
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