दुनिया में सोने के मार्केट की 2022 में शानदार शुरुआत हुई। पहले क्वार्टर की मांग 34% रही। ईटीएफ फ्लो की मजबूती से यह संभव हुआ। जाहिर है कि भूराजनी तक उथलपुथल और आर्थिक अनिश्चित के दौर में सोने में निवेश करना सबसे सुरक्षित है।
भू-राजनीतिक संकट की वजह से विश्व अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव आया और ऐसे में निवेशकों ने सोने की ओर रुख किया जिससे इसकी कीमत मार्च में 2,070/oz अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई जो सबसे अधिक थी। वर्ल्ड गोल्ड कौंसिल की ताजा गोल्ड डिमांग ट्रेंड्स रिपोर्ट के अनुसार गोल्ड ईटीएफ 2020 की तीसरी तिमाही के बाद से 269t के क्वार्टली इनफ्लो पर है जबकि 2021 में वार्षिक आउटफ्लो 173t था। यह सोने की कीमत बढ़ने से ही संभव हुआ।
इस बीच, सोने की बार और सिक्कों की मांग 282t रही जो पांच साल के औसत से 11% अधिक है। लेकिन चीन में फिर से लॉकडाउन के कारण तुर्की में कीमतें अधिक होने से पिछले साल के मुकाबले 20% कीमत कम हुई। इसकी तुलना में 2021 की पहली तिमाही में काफी मजबूत स्थिति थी।
जेवरात के सेक्टर में विश्व व्यापी सोने की मांग पिछले साल के मुकाबले 7% गिर कर 474t पर आ गई। प्रमुख वजह यह रही कि भारत और चीन में मांग कमजोर हुई। चीन में लूनर वर्ष की अवधि में मजबूती के कारण मांग बढ़ी थी। बाद यह कोविड के कारण फरवरी और मार्च में नरम पड़ गई। चीन में फिर से लॉकडाउन के कारण ऐसा हुआ क्योंकि वहां जीरो—कोविड पॉलिसी अपनाई जा रही है।
भारत में विवाह की संख्या में गिरावट और शुभ दिनों के अभाव में पहली तिमाही में सोने की खरीदारी पर सीधा असर आया। इसके अलावा, सोने की कीमतों में विश्वभर में उछाल से अनेक भारतीय उपभोक्ताओं ने खरीदारी से अपने हाथ थाम लिए।
टैक्नोलॉजी में सोने की मांग 82t हो गई जो चार साल में सबसे अधिक थी। यह 2021 की पहली तिमाही से 1% ज्यादा है। इस सेक्टर में औसत बढ़ोत्तरी हुई लेकिन यहां भी चुनौतियां कम नहीं थीं। शांघई जैसे प्रमुख वित्तीय एवं औद्योगिक केंद्रों में लॉकडाउन के कारण इलैक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन प्रभावित हुई।
पिछले क्वार्टर के मुकाबले सेंट्रल बैंकों की सकल खरीदारी दुगनी से अधिक हो गई। 2022 की पहली तिमाही में उनके पास आधिकारिक स्वर्ण भंडार 84t बढ़ गया। मिस्र और तुर्की जैसे देशों ने इस सेक्टर में अधिक खरीदारी की। हालाकि 2021 की पहली तिमाही के मुकाबले सेंट्रल बैंकों ने 29% कम खरीदारी की लेकिन अनिश्चतता के दौर में उन्होंने भी सोने की कद्र की।
वार्षिक आधार पर सोने की सप्लाई में 4% वृद्धि हुई। खनन उत्पादन बढ़ने से ऐसा हुआ जो 856t पर पहुंच गया। इसके अलावा रिसाइक्लिंग पिछले साल के मुकाबले 15% बढ़ी औज्ञर सोने की कीमत बढ़ने के से यह 310t पर पहुंच गई।
इस बारे में लुई स्ट्रीट, सीनियर एनेलिस्ट ईएमईए, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने कहा: ”2022 की पहली तिमाही उथलपुथल भरी रही है, जिसमें भूराजनीतिक संकट आया, सप्लाई चेन दिक्कत में फंसी और महंगाई भी बढ़ गई। इन वैश्विक घटनाओं और बाजार की स्थिति से निवेश के रुप में सोने की सुरक्षित स्थिति और सुदृढ़ हो गई। दोहरी प्रकृति की संपत्ति होने की वजह से सोने में निवेश निवेशकों ने ही नहीं बल्कि आम उपभोक्ता ने भी किया।”
“बाजार की गतिशीलता के कारण निवेश मांग मजबूत रहने की उम्मीद है क्योंकि महंगाई और भू-राजनीतिक संकट की वजह से सोने की मांग तेज होगी। दूसरी ओर आम उपभोक्ता विश्वभर में जीवन लागत बढ़ने के संकट का सामना कर रहे हैं। ऐसे में वे अपने खर्च पर पुनर्विचार करेंगे। उपभोक्ताओं की ओर से मांग कोविड के प्रभावों से उबर रही थी। आर्थिक मंदी और कीमतों में वृद्धि से जेवरात की मांग कमजोर पड़ सकती है।”
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