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दो यूट्रस दो वजाइना, सर्जरी से किया एक, तब मिला मां बनने का सुख

मां बनना हर महिला के लिए सबसे सुखद अहसास माना जाता है। कई बार ऐसी जन्मजात विकृति होती है, जिनका पता भी नहीं चलता और वे मां बनने के सुख से वंचित कर सकती है। ऐसे में यदि सही चिकित्सकीय उपचार मिल जाए तो यह परेशानी दूर हो सकती है। कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है भरतपुर में रहने वाली 28 वर्षीय महिला स्वाति (परिवर्तित नाम) का जो अपने परिचित की सलाह से जयपुर के रुक्मणी बिरला हॉस्पिटल में परामर्श लेने आईं और अस्पताल के अनुभवी डॉक्टर्स द्वारा उनका सफल इलाज भी हुआ।

महिला शादी के बाद से गर्भवती नहीं हो पा रही थी। माहवारी के समय  लगातार तेज पेट दर्द की परेशानी हो रही थी। वहीं मां न बन पाने के कारण वह डिप्रेशन का शिकार हो रही थी। उनके पति ने बताया कि बड़ी उम्मीदों के साथ जब हम रुक्मणी बिरला हॉस्पिटल में सीनियर गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. विभा चतुर्वेदी के पास गए तो उन्होंने हमें इस समस्या को ठीक करने का आश्वासन दिया।

वहां उनकी डाग्नोस्टिक हिस्ट्रो लेप्रोस्कोपी की तो पता चला कि जन्मजात विकार के कारण उनके पेट में दो यूट्रस और दो वजाइना की आंतरिक संरचना बनी हुई है जिसके कारण वह गर्भवती नहीं हो पा रही थी। 

चुना रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी (लपरोस्कोपिक मेट्रोप्लास्टि )का विकल्प –ऐसे में सारी जांचों के बाद रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी का विकल्प चुना गया। इसमें लेप्रोस्कोपी और हिस्ट्रोस्कोपी की मदद से दो यूट्रस और दो वजाइना को एक यूट्रस और एक वजाइना बना दिया गया। यह प्रक्रिया जटिल थी, लेकिन इसे सफलता पूर्वक पूरा कर लिया गया। यह अपनी तरह का एक अनोखा मामला रहा, जिसे आप दुर्लभ केस भी मान सकते हैं।

जन्मजात थी परेशानी –डॉ. विभा चतुर्वेदी ने बताया कि यह परेशानी जन्मजात थी। लेकिन लंबे समय तक इसका पता नहीं चल सका। यह परेशानी तब सामने आई जब मरीज के पीरियड्स आने शुरू हुए। तब उन्हें तेज पेटदर्द की समस्या होती थी। लेकिन इसे सामान्य माना गया। इसके बाद मरीज की शादी हो गई तो वह गर्भवती नहीं हो पाई। ऐसे में मरीज कई जगह जाने के बाद हमारे पास आई।

सर्जरी के 4 माह बाद गर्भवती हुई – डॉ. विभा चतुर्वेदी ने बताया कि सर्जरी के चार माह बाद मरीज को गर्भवती होने का सुख मिल पाया और 36 सप्ताह की गर्भावधि के बाद मां बन पाई हैं। उन्होंने एक संतान को जन्म दिया है। इस इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में हमें सफलता तो मिली ही साथ एक महिला को मां बनने का सुख भी प्राप्त हुआ है। 

मरीज और उनके परिजन का कहना है कि शादी के लंबे समय बाद उनके घर में नन्ही किलकारी गूंजी है जो सिर्फ रुक्मणी बिरला हॉस्पिटल के डॉक्टर्स के प्रयासों से संभव हो पाया है। उनके पति ने बताया कि लगातार तेज पेट दर्द और मां न बन पाने के तनाव के कारण वह अवसाद में चली गई थी। इलाज के बाद अब उसे न तो किसी तरह का दर्द है और उसके सभी तनावों को उसकी संतान ने दूर कर दिया है। हम रुक्मणी बिरला हॉस्पिटल और उनके डॉक्टर्स के हमेशा आभारी रहेंगे।