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सीनियर जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. ललित मोदी व टीम ने किया कारनामा

18 साल पुरानी घुटनों की समस्या समय के साथ धीरे-धीरे इतनी गंभीर हो गई कि तीन साल से 60 वर्षीय सन्तोषी देवी (परिवर्तित नाम) को बिस्तर पकड़ा दिया। ओस्टियो आर्थराइटिस के कारण तीन साल से मरीज का घुटना पूरी तरह जाम हो चुका था। ना तो पैर सीधा होता था ना ही मुड़ता था। ऐसे में अगले दिन ही मरीज का अपने पैरों पर खड़ा होना और चलना किसी चमत्कार से कम नहीं था। यह सफल केस कर दिखाया सीके बिरला हॉस्पिटल के सीनियर जॉइंट रिप्लेसमेंट एंड आर्थ्रोस्कॉपी सर्जन डॉ. ललित मोदी ने।

उन्होंने बताया कि जब हमारे पास मरीज आया था तो उनकी स्थिति बहुत ही विकट थी। 60 साल की उम्र में घुटनों की समस्या बहुत ही गंभीर थी। उन्हें करीब 18 साल से ऑस्टियो आर्थेराइटिस की बीमारी थी जिससे उनके घुटने 20 डिग्री पर जाम हो गए। मरीज का घुटना ना तो मुड़ता है न ही सीधा होता है, वो एक ही स्थिति में फिक्स हो गए थे। ऐसे में मरीज को नित्य कर्म करने के लिए भी दूसरों की मदद लेनी पड़ती थी।

कई थी चुनौतियां, पर मिली सफलता —

डॉ. ललित मोदी बताते हैं कि हमने उनके बारे में सारी जानकारी ली। इसके बाद उन्हें जोड़ प्रत्यारोपण का सुझाव दिया गया। इस केस में सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि इस केस में रूटीन वाला इम्प्लांट यूज नहीं हो सकता है। इसके लिए स्पेशल इम्प्लांट आते हैं। दरअसल मरीज के घुटने के साथ ही उनकी हड्डियों में भी काफी डैमेज हो गया था। ऐसे में सर्जरी के दौरान दोहरी समस्या का सामना करना पड़ा।

हड्डियों में भी फ्रेक्चर —

मरीज की हड्डियों में भी फ्रेक्चर हो गए थे। जिसके कारण घुटने 45 डिग्री तक अंदर की तरफ मुड गए थे।ऐसे में ऑपरेशन के दौरान फ्रेक्चर वाले पार्ट को भी मैनेज करना था जिससे वह आगे चलकर नुकसान न करे। डिफेक्ट को कवर करने के लिए स्पेशल रॉड का इस्तेमाल किया जिससे इम्प्लांट की स्टेबिलिटी बढ़ जाती है और नेगेटिव इम्पेक्ट नहीं आता है। इसे हम रिवीजन नी इम्प्लांट विथ रॉड कहते हैं।

अगले दिन ही चलने लगा मरीज —

18 साल की परेशानी से मरीज को पांच ही दिन में राहत मिल गई। डॉ. ललित मोदी ने बताया कि इम्प्लांट के तुरंत बाद ही मरीज को राहत मिली। ऑपरेशन के अगले दिन से उनका चलना चालू हो गया था। जबकि तीन साल से तो मरीज बिस्तर पर ही लेटा हुआ था। उन्हें अस्पताल से पांच ही दिन में डिस्चार्ज कर दिया गया।