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हृदय की कम क्षमता वाले मरीजों में लाइफ सेविंग हैं हार्ट फेलियर डिवाइस

कमजोर दिल के रोगियों के लिये एक नई उम्मीद जगाई है हार्ट फेलियर डिवाइस ने । यह हार्ट फेलियर डिवाइस हृदय  की कम क्षमता वाले मरीजों में लाइफ सेविंग का काम कर रही है। सीके बिरला हॉस्पिटल के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रूद्रदेव पांडेय ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में हार्ट फेलियर से जूझ रहे इन मरीजों में अलग-अलग डिवाइस इंप्लांट किये गए। कुछ मामलों में हार्ट फेलियर डिवाइस बहुत कारगर साबित होती है। यह न सिर्फ मरीज के हार्ट की पंपिंग क्षमता को 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है बल्कि उनकी दवाओं की जरूरत को भी कम व जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर कर सकती है। मरीज के लिए कौनसा डिवाइस उपयुक्त है, इसका निर्णय डॉक्टर सभी जांचों को पूरा करने के बाद लेते हैं।

केस नं. 1. थोड़ा बहुत चलने पर भी 70 वर्षीय जयपाल (परिवर्तित नाम) को सांस फूलने की समस्या हो रही थी। ईसीजी करने पर उन्हें कंप्लीट हार्ट ब्लॉकेज सामने आया। उनका ईको किया गया तो पता लगा कि मरीज का माइट्रल वॉल्व भी लीक हो रहा है जिससे लंग्स में प्रेशर कहीं अधिक बढ़ गया है। ऐसे में सीके बिरला हॉस्पिटल के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रूद्रदेव पांडेय ने मरीज के हार्ट में दो तार वाला ड्यूल चैंबर पेसमेकर इंप्लांट किया जिससे समस्या बहुत हद तक ठीक हुई। मरीज एक ही दिन बाद डिस्चार्ज हो गया और पांचवें दिन जब चेकअप के लिए आया तो वह पूरी तरह सामान्य हो गया ।

केस नं. 2. बेहोशी की हालत में आए 60 वर्षीय विनोद (परिवर्तित नाम) का जब सीके बिरला हॉस्पिटल में ईसीजी किया गया तो उन्हें  वेंट्रीकुलर टेकीकार्डिया होने का पता चला जिससे उनकी सडन कार्डियक डेथ भी हो सकती थी। उन्हें तुरंत शॉक दिया गया जिससे उनके हृदय की अनियमित धड़कन सामान्य हुई। ईको की जांच में सामने आया कि उनका हृदय सिर्फ 15 प्रतिशत काम कर रहा था। उन्हें दवाएं दी और एआईसीडी डिवाइस इंप्लांट की गई। डॉ. रूद्रदेव पांडेय ने बताया कि यह डिवाइस हृदय में होने वाले शॉर्ट सर्किट को पहचानकर बिजली का झटका देकर मरीज को बचा लेती है। अगर मरीज का इजेक्श फ्रेक्शन 40 प्रतिशत से कम है यह लाइफ सेविंग डिवाइस साबित हो सकती है।

केस नं. 3. 60 वर्षीय सरला (परिवर्तित नाम) को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उनके शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा 90 प्रतिशत पहुंच चुकी थी और उन्हें बेहोशी की हालत में हॉस्पिटल की इमरजेंसी में पहुंचाया गया। उनके फेफड़ों में पानी भरने से वह वेंटीलेटर पर आ गई जिसे धीरे-धीरे सामान्य किया गया। ईसीजी रिपोर्ट में सामने आया कि उनके हृदय की धड़कन गंभीर रूप से अनियमित हो रही थी और ईको जांच मैं उनका इजेक्शन फ्रेक्शन सिर्फ 20 प्रतिशत आया। ऐसे में डॉ. रूद्रदेव पांडेय ने उनके हृदय में सीआरटीडी डिवाइस छोटे से चीरे द्वारा इंप्लांट किया | इससे कुछ ही समय में उनका ईएफ बढ़ना शुरू हो गया।