कोविड 19 महामारी ने शिक्षा क्षेत्र में आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल करने की जरूरत बढ़ा दी है, ऐसे में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आधुनिक टेक्नोलॉजी की खोज ने न सिर्फ छात्रों को बेहतर शिक्षा मॉड्यूल में मदद की है, बल्कि शिक्षाविदों को भी छात्रों की सीखने की क्षमता बेहतर करने का अवसर दिया है। आईआईटी कानपुर में तैयार स्टार्टअप एआई टेस्टिफाइड एक खास प्लेटफॉर्म है, जहां कृत्रिम बुद्धिमता को स्कूली शिक्षा प्रणाली और यूपीएससी परीक्षा की तैयारियों के साथ जोड़ा गया है। देश का शीर्ष एआई संचालित परीक्षा प्लेटफॉर्म होने के नाते यह स्कूली छात्रों और यूपीएससी अभ्यर्थियों में सीखने की कमी को दूर करते हुए उनकी सीखनेकृसमझने की क्षमता बढ़ाने के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हुआ है।
एआई टेस्टिफाइड के सीएमडी एमके यादव का कहना है कि सीबीएसई ने हाल ही में नई शिक्षा नीति 2020 के तहत टर्म आधारित परीक्षा नीति (एमसीक्यू संचालित) शुरू करने की घोषणा की है, इस लिहाज से इस प्लेटफॉर्म का महत्व बढ़ गया है। मानवीय शिक्षण (शिक्षक) में जहां अपनी सामाजिक बुद्धिमता का इस्तेमाल करने और विभिन्न बदलती परिस्थितियों से तालमेल बिठाने की क्षमता है, वहीं इन दोनों का शिक्षा क्षेत्र में भी इस्तेमाल किए जाने पर काम करने की सख्त जरूरत आन पड़ी है। शिक्षकों और टेक्नोलॉजी के बीच इस तरह का तालमेल छात्रों की दिलचस्पी बढ़ाने और उनकी सीखने की क्षमता सुधारने के लिए बहुत जरूरी है जो छात्रों, शिक्षाविदों और देश के लिए लाभकारी साबित हो सके।
सूचना प्रसार के इस युग में छात्रों में अवधारणात्मक स्पष्टता, खोजपरक मानसिकता बढ़ाना जरूरी है और साथ ही उनमें सूचनाओं का महत्वपूर्ण विश्लेषण करने की क्षमता बढ़ाना भी जरूरी है लेकिन दुर्भाग्यवश ज्यादातर स्कूलों का जोर अभी सिलेबस पूरा करने और परीक्षा में सफल होने पर ही रहा है। लिहाजा विश्लेषणात्मक शिक्षा पर केंद्रित होना जरूरी है जिससे छात्रों को आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में सफल होने में मदद मिलेगी। लॉकडाउन के कारण बहुत सारे छात्रों का शिक्षण स्तर बहुत गिरा है, ऐसे में एआई टेस्टिफाइड व्यापक शोध के जरिये उन्हें गहन ज्ञान देता है और नई अपनाई गई टेक्नोलॉजी उनमें सीखने की क्षमता विकसित करने के लिए भरोसा जगा सकती है। एआई टेस्टिफाइड ने हाल ही में दिल्ली के 10 सरकारी स्कूलों (सीएसआर मुहिम के तहत) में इस एआई आधारित समाधान को लागू किया है ताकि कृत्रिम बुद्धिमता संचालित वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं के जरिये सरकारी स्कूलों के बच्चों की सीखने की क्षमता में कमी को दूर किया जा सके।
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