राजस्थान में जागरूकता की कमी, ब्रेस्ट कैंसर के केसेस के प्रति उपेक्षा और सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन न होने के कारण महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के केसेस लगातार बढ़ रहे हैं। शहर के डॉक्टरों ने कहा है कि राजस्थान में शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रेस्ट कैंसर की घटनाओं में कोई अंतर नहीं है। उन्होंने कहा है कि जयपुर धीरे-धीरे ब्रेस्ट कैंसर के मामलों का केंद्र बनता जा रहा है, खासकर कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद प्रतिबंधों के कारण क्लीनिकल एग्जामिनेशन सेंटर बंद होने से ये केसेस ज्यादा बढ़े हैं।
भारत विकसित देशों की तुलना में अर्ली (प्रारंभिक) ब्रेस्ट कैंसर (ईबीसी) के केवल 30% केसेस की रिपोर्ट करता है, जबकि विकसित देशों में ईबीसी ब्रेस्ट कैंसर के 60 से 70% केसेस मिलते है।
एशियन कैंसर हॉस्पिटल, जयपुर के मुख्य चीफ मेडिकल ओंकोलोजिस्त और डायरेक्टर डॉ मुकुल गोयल ने ब्रेस्ट कैंसर की बढ़ती घटनाओ पर अपनी राय रखते हुए कहा, कि शहरी लाइफस्टाइल और देर से विवाह करने का चलन धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ रहा है, ये दोनों कारण ब्रेस्ट कैंसर के प्रमुख जोखिम फैक्टर है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार, जयपुर में केवल 15 से 49 वर्ष की आयु के बीच की लगभग 6% महिलाओं ने ब्रेस्ट कैंसर की जांच करायी है। हम सलाह देते हैं कि 40 वर्ष से अधिक आयु की सभी महिलाओं की मैमोग्राफी से जांच की जानी चाहिए। इस उम्र में यह डब्ल्यूएचओ द्वारा सुझाई गयी कैंसर स्क्रीनिंग विधि है। । अगर परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर हो चुका है तो उ से जल्दी उम्र में स्क्रीनिंग शुरू करा देनी चाहिए।”
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