भारती एंटरप्राइजेज की परोपकारी शाखा, भारती फाउंडेशन के साथ साझेदारी में नीति आयोग ने कॉन्वोक 2021-22 लॉन्च किया। कॉन्वोक एक राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी है जिसका उद्देश्य भारत भर के सभी शिक्षकों, शिक्षाविदों, स्कूलों के प्रमुखों पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ शिक्षा प्रदान करने और इसकी गुणवत्ता को मजबूत करने में चुनौतियों का समाधान करना है। इस मंच के माध्यम से, सरकारी स्कूलों के स्कूल शिक्षकों/प्रमुखों/प्राचार्यों और भारती फाउंडेशन नेटवर्क के शिक्षकों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यम से अनुसंधान आधारित समाधानों का उपयोग करने और सीखने के परिणामों में सुधार के लिए जमीनी स्तर पर किए गए अपने प्रयासों को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 भी शिक्षकों को सीखने की प्रक्रिया के केंद्र के रूप में पहचानती है। यह संस्तुति करती है कि शिक्षकों को शिक्षण के लिए नए दृष्टिकोण के लिए पहचाना जाएगा जो उनकी कक्षाओं में सीखने के परिणामों में सुधार करते हैं। एनईपी प्लेटफॉर्म विकसित करने की सिफारिश करता है ताकि शिक्षक व्यापक प्रसार और प्रतिकृति के लिए विचारों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा कर सकें।
वर्षों से शिक्षक छात्रों की मदद करने के लिए और लॉकडाउन के दौरान और भी अधिक मदद करने के लिए अभिनव समाधान लेकर आ रहे हैं। कॉन्वोक के माध्यम से वे अब अपने माइक्रो रिसर्च पेपर साझा कर सकते हैं। इन शोध पत्रों का विश्लेषण शिक्षाविदों के एक पैनल द्वारा किया जाएगा। शॉर्टलिस्ट किए गए शोध पत्र जनवरी, 2022 में निर्धारित ‘राष्ट्रीय अनुसंधान संगोष्ठी’ के दौरान प्रस्तुत किए जाएंगे।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने की और नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत, नीति आयोग के सलाहकार (शिक्षा) डॉ प्रेम सिंह,भारती फाउंडेशन के सह-अध्यक्ष श्री राकेश भारती मित्तल भारती फाउंडेशन की सीईओ सुश्री ममता सैकिया ने भी भाग लिया। इसके अलावा शिक्षा मंत्रालय, एनआईईपीए, शिक्षा विभागों के अधिकारियों/सभी राज्यों के एससीईआरटी/केंद्र शासित प्रदेशने भी भाग लिया।
कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने कहा, “गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि हमने प्रारंभिक शिक्षा में विश्वस्तरीय पहुंच हासिल कर ली है। यह एक तात्कालिक और सबसे महत्वपूर्ण कार्य बन जाता है, जो कि कोविड-19 स्कूल बंद होने के कारण हुई सीखने की गिरावट को देखते हुए है। मुझे उम्मीद है कि कॉनवोक एक ऐसा मंच बन जाएगा जो अखिल भारतीय होगा और यह आनंदमय शिक्षण और सीखने के माध्यम से सीखने के परिणामों में सुधार की दिशा में एक आंदोलन बन जाएगा। मैं सभी शिक्षा स्टेकहोल्डर्स से हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को एक मिशन बनाने की अपील करता हूं। हमें प्री-स्कूल शिक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि बड़ी संख्या में बच्चे प्री-स्कूल नहीं जा रहे हैं और इसलिए जब वे स्कूलों में प्रवेश करते हैं तो सीखने के परिणामों में पिछड़ जाते हैं।
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