हर्निया के इलाज में सर्जरी अंतिम विकल्प होता है और इसकी सर्जरी में मरीज के लिए कई तरह की चुनौतिया होती थी। लेकिन अब नई तकनीकों ने हर्निया सर्जरी को काफी आसान कर दिया है और मरीज भी जल्दी ही सामान्य जीवन में लौट जाते हैं। यह बात रेलवे हॉस्पिटल, अजमेर में आयोजित हुई एडवांस लेप्रोस्कोपिक हर्निया सर्जरी वर्कशॉप में विशेषज्ञों ने कही।
वर्कशॉप के चीफ प्रोक्टर और सीके बिरला हॉस्पिटल के सीनियर लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. विपिन जैन ने बताया कि वर्कशॉप में लेप्रोस्कोपी की तीनों नवीनतम तकनीकें – टीईपी, टीएपीपी, और ई-टीईपी के बारे में बताया गया। इसके लिए लाइव केस किये गए और तकनीकों का इस्तेमाल करना सिखाया गया। इस दौरान डॉ. विपिन जैन ने बताया कि हर्निया की समस्या का इलाज अब की-होल सर्जरी से किया जा सकता है जिसमें तीन छेद करके दूरबीन द्वारा हर्निया सर्जरी की जाती है। इससे पहले मरीज को बड़ा चीरा लगाकर यह सर्जरी की जाती थी जिसमें सर्जरी के दौरान अधिक रक्तस्राव और इंफेक्शन का खतरा होता था, मरीज को ज्यादा तकलीफ होती थी और रिकवरी में भी अधिक समय लगता था।
वर्कशॉप में रेलवे हॉस्पिटल के सर्जन्स के अलावा अन्य सर्जन्स ने भाग लिया और नई तकनीकों के बारे में विचार-विमर्श किया। डॉ. विपिन ने बताया कि आमतौर पर लोगों को हर्निया के आॅपरेशन के बारे में तो पता है लेकिन इस रोग में क्या होता है, इसके बारे में जानकारी नहीं है। हर्निया की समस्या तब उत्त्पन्न होती है जब पेट में से कोई अंग या मांसपेशी या ऊतक किसी छेद की सहायता से बाहर आने लगता है। उदाहरण के लिए, बहुत बार आंत, पेट की कमजोर दीवार में छेद करके बाहर आ जाती हैं। पेट में हर्निया होना सबसे आम हैं, लेकिन यह जांघ के ऊपरी हिस्से, बीच पेट में और ग्रोइन क्षेत्रों (पेट और जांघ के बीच का भाग) में भी हो सकता है। यह समस्या स्त्री या पुरुष, किसी को भी हो सकती है। जब इंसान के पेट की मसल कमजोर हो जाती है या कोई डिफेक्ट पैदा हो सकता है तब हर्निया की समस्या हो सकती है।
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