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एवेक्सिया लाइफकेयर ने बड़े विस्तार की योजना बनाई

इवेक्सिया लाइफकेयर लिमिटेड को फ़िलहाल भैंस, बकरी, कुत्ते, आदि मवेशियों में दुर्लभ बीमारियों के लिए उपयोग किए जाने वाले उत्पाद बनाने की वर्तमान व्यावसायिक गतिविधि के साथ ही आइसोमेटामिडियम (आइसोमेटा) के एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रेडिएंट(एपीआई) को बनाने के संयंत्र की स्थापना के लिए तैयार किए गए प्लांट लेआउट को एफडीए से प्रारंभिक अनुमति प्राप्त हुई है। गौरतलब है कि भारत और दुनिया भर में बहुत कम कंपनियां इस एपीआई का निर्माण कर रही हैं। कंपनी ने पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर ली है। साथ ही वडोदरा संयंत्र के स्थान पर सभी जरुरी संयंत्र और मशीनरी खरीद ली है। कंपनी को संबंधित सरकारी प्राधिकरणों से पर्यावरण मंजूरी (ईसी) मिलते ही संयंत्र की स्थापना और उत्पादन कार्य शुरू हो जाएगा।

इसके साथ ही एवेक्सिया की 70 प्रतिशत  शेयर-होल्डिंग  वाली एक सहायक कंपनी, कवित ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मंडल ने सीधे बैंकों से बुलियन खरीदकर बाजार में बेचने के व्यवसाय को मंजूरी दे दी है। इस सहायक  कंपनी ने बुलियन खाता खोलने के लिए बैंकरों से संपर्क किया है। यह नया व्यवसाय इस सहायक कंपनी के राजस्व को बढ़ायेगा, जिससे कंपनी की समेकित वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।

वडोदरा स्थित संयंत्र में आइसोमेटा एपीआई के उत्पाद के साथ ही एवेक्सिया लाइफकेयर लिमिटेड मुख्य रूप से एंटी-डायबिटिक और हृदय रोगों में उपयोग किए जाने वाले इंटरमीडिएट का निर्माण करने की योजना बना रही है। कंपनी की रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर एंड डी) टीम 5 अन्य उत्पादों के अंतिम चरण में है, जिन्हें कंपनी नवंबर 2021 तक लॉन्च कर सकती है।

कंपनी अकोला (महाराष्ट्र) में आइसोमेटा एपीआई बनाने वाली एक कंपनी के मौजूदा संयंत्र का अधिग्रहण करने के अंतिम चरण में है, जो कंपनी की उत्पादन क्षमता और लाभ में वृद्धि करेगा।

कंपनी का विजन जनवरी 2022 तक फॉर्म्युलेशन के क्षेत्र में प्रवेश करना है, जिससे कंपनी को अच्छा प्रतिसाद मिलेगा। आर एंड डी टीम ने भारत के साथ-साथ दुनिया भर में अवसर और उपलब्ध बाजार को देखते हुए फॉर्मूलेशन प्लांट के लिए काम करना शुरू कर दिया है।

कंपनी ने फार्मास्युटिकल केमिकल्स के व्यापार के लिए हैदराबाद में अपनी नई शाखा शुरू की है और इससे प्रति वर्ष 25-30 करोड़ रुपये का कारोबार होने की संभावना है। 

बोर्ड के अनुसार उपरोक्त सभी विस्तार गतिविधियों के लिए कंपनी बाहर से उधार लेने के बजाए इंटरनल फंड के जरिए पैसों का प्रबंधन करेगी।