रूकमणि बिड़ला अस्पताल के वरिष्ठ चेस्ट स्पेशलिस्ट एंड इंटरवेंशनल पलमोनोलोजिस्ट डॉक्टर राकेश गोदारा ने एक मरीज की साँस की नली में सिलिकोन स्टैंट डाल ट्रेकीयोस्टोमी ट्यूब हटाने में कामयाबी हासिल की है। सिलिकोन स्टैंट को श्वास नली में लगाने का यह प्रदेश का पहला मामला है।
महेश (परिवर्तित नाम) क़रीब दो साल पहले न्यूमोनिया के कारण ICU में भर्ती हुआ। लम्बे समय वेंटिलेटर पर रहने से ट्रेकीयोस्टोमी करनी पड़ी। ट्रेकीयोस्टोमी ट्यूब निकालने के समय मालूम चला की ट्रेकीयोस्टोमी के ऊपर वाला श्वास मार्ग सिकुड़ गया है और मरीज़ कुछ पल के लिए भी साँस नहीं ले पा रहा है अतः ट्रेकीयोस्टोमी ट्यूब भी नहीं निकल सकती। मेडिकल में इसे पोस्ट इंट्यूबेशन ट्रेकीयल स्टीनोसिस (PITS) कहते है। इसमें पहले मोंटगोमेरी T- ट्यूब डाल कर ऊपर का रास्ता खोला। परंतु एक साल बाद उसको निकालने के बाद रास्ता पुनः सिकुड़ गया एवं मरीज़ की ट्रेकीयोस्टोमी दोबारा करनी पड़ी। मरीज़ ने शैल्य चिकित्सक से भी परामर्श किया और ज्ञात हुआ की इसमें यह विकल्प उपयुक्त नहीं है। अब मरीज़ को ज़िंदगी भर ट्रेकीयोस्टोमी ट्यूब के साथ रहना था, इसमें इसकी देखभाल भी काफ़ी रहती है एवं मरीज़ बोल नहीं पाता। बार बार इसके ब्लाक होने एवं फेफड़ों के संक्रमण का ख़तरा भी रहता है।
सामान्यतया श्वास नली में अवरोध/ सिकुड़न एडवांस कैंसर में गाँठ से होता है, ऐसी स्तिथि में मरीज़ को मेटल का स्टैंट डाल जाता है जो की तुरंत रास्ता खोल मरीज़ को आराम प्रदान कर देता है परंतु यह अंत समय तक श्वास नली में रहता है। बिना कैंसर की स्तिथि के कारण मरीज़ को श्वास नली के ऊपरी भाग (सब ग्लोटिक) में सिलिकोन स्टैंट डालने का विकल्प बताया। जिसे की नौ से बारह महीने में स्टैंट वापस निकल कर देखा जा सकता है कि अवरोध परमानेंट खुल गया है। ऊपरी भाग में स्टैंट को स्थिर करने के लिए एक विशेष तकनीक से स्टैंट को श्वास नली के साथ टाँके से भी जोड़ा गया। ये प्रोसिजर रिजिड ब्रोंको स्कोपी के माध्यम से स्पेशल स्टैंट लोडर डिवाइस एंड तकनीक से इंटरवेंशनल पलमोनोलोजिस्ट द्वारा किया जाता है। रुक्मणी बिरला अस्पताल में वरिष्ठ चेस्ट स्पेशलिस्ट एंड इंटरवेंशनल पलमोनोलोजिस्ट डॉक्टर राकेश गोदरा द्वारा यह प्रोसीज़र किया गया। इसमें डॉक्टर अतुल पुरोहित (निश्चेतन विभाग), रईस क़ुरैशी (ब्रोंकोस्कोपी टेक्निशियन),आनंद एवं टीम का सहयोग रहा।
सिलिकोन स्टैंट को श्वास नली में लगाने का यह प्रदेश का पहला मामला है। डॉक्टर गोदारा को फेफड़ों सम्बंधित एडवांस ब्रोंको स्कोपी प्रोसीजर्स में विशेष दक्षता एवं अनुभव प्राप्त है।
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