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जटिल सर्जरी द्वारा घुटने के असहनीय दर्द से मिली निजात

कार्टिलेज की गंभीर बीमारी के कारण 19 वर्षीय आईआईटी स्टूडेंट रोहन (परिवर्तित नाम) के घुटने के कार्टिलेज का बड़ा हिस्सा मृत हो गया था जिससे वह चलने-फिरने तक में असमर्थ हो गया था। लेकिन जयपुर के सीके बिरला हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने न केवल उसके मृत कार्टिलेज का ट्रांसप्लांट किया बल्कि घुटने के ठीक कर उसे फिर से चलने योग्य किया। हॉस्पिटल के सीनियर जॉइंट रिप्लेसमेंट व ऑर्थोस्कोपी सर्जन डॉ. ललित मोदी ने यह सफल केस किया।

मरीज को थी ओस्टियोकॉन्ड्राइटिस डेसिकेन्स बीमारी —

डॉ. ललित मोदी ने बताया कि मरीज को घुटने में असहनीय दर्द की समस्या थी। जब उसकी एमआरआई जांच की गई तो सामने आया कि घुटने के जोड़ की हड्डी और कार्टिलेज का बड़ा हिस्सा ओस्टियोकॉन्ड्राइटिस डेसिकेन्स नाम की बीमारी के कारण मृत हो गया था। इसके कारण रोहन स्पोर्ट्स एक्टीविटी तो दूर, ठीक से चलने में भी असमर्थ हो गया था। ऐसे में मरीज के मृत हिस्से को बोन ग्राफ्टिंग व कार्टिलेज ट्रांसप्लांट की सहायता से ठीक करने का निर्णय लिया गया।

स्टेम सेल तकनीक से बनाया नया कार्टिलेज — 

बीमारी को ठीक करने के लिए दो चरणों में मरीज का इलाज किया गया। डॉ. ललित ने बताया कि पहले चरण में हमने मरीज की सभी मृत हड्डियों को हटा दिया और पास की टीबिया बोन से कुछ हिस्सा लेकर वहां प्रत्यारोपित कियागया। हमने घुटने के जोड़ से कार्टिलेज का छोटा टुकड़ा लिया और उसे स्टेम सेल तकनीक से बढ़ाने के लिए लैब में भेजा। एक महीने बाद जब उचित मात्रा में सेल्स मिले तो दूसरे चरण की सर्जरी की गई जिसमें कार्टिलेज कोशिकाओं को प्रभावित हिस्से में ट्रांसप्लांट किया गया। इससे घुटने का जोड़ बिल्कुल सामान्य रूप से काम करने में सक्षम हो गया और मरीज सभी गतिविधियां आराम से करने लगा। डॉ. ललित ने बताया कि ट्रांसप्लांट किये गए कार्टिलेज मरीज के शरीर से ही लिया गया, इसीलिए यह सर्जरी के बाद प्राकृतिक रूप में ही कार्य करते हैं और मरीज को किसी तरह की समस्या नहीं होती।