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भारतीय निर्यात क्षेत्र के लिए 400 बिलियन अमरीकी डालर का लक्ष्य निर्धारित

भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अगस्त को देश के व्यापार और वाणिज्य क्षेत्र के स्टेकहोल्डरों के साथ-साथ निर्यात संवर्धन परिषदों (ईपीसी) चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और विदेशों में भारतीय मिशनों के प्रमुखों के साथ एक वर्चुअल इंटरैक्टिव बैठक की इस बैठक का उद्देश्य 2021-22 में भारत के व्यापारिक (मर्चन्डाइज़) निर्यात को 400 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने और विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना था।
माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, भारत में अपार संभावनाएं हैं जिनका यदि उपयोग किया जाए तो वे प्रमुख क्षेत्रों में वैश्विक चौंपियन बन सकते हैं रत्न तथा आभूषण उद्योग जगत उन 4 प्रमुख क्षेत्रों में से एक है जो लगभग 60 प्रतिशत व्यापारिक निर्यात में योगदान देता है जो प्रौद्योगिकी और अनुसंधान में निवेश करके बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग को बढ़ा सकता है चूंकि यह क्षेत्र वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में इस क्षेत्र से रिकवरी के मजबूत संकेत देखने को मिले है इसलिए अब एक लचीला और आत्मनिर्भर भारत का प्रदर्शन करना महत्वपूर्ण है।
जीजेईपीसी के अध्यक्ष कॉलिन शाह ने कहा, मेरा मानना है कि हमारे माननीय प्रधान मंत्री ने एक आदर्श समय पर निर्यात क्षेत्र को संबोधित किया महामारी के बाद इस क्षेत्र का मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ाने की जरूरत थी प्रधानमंत्री ने 2021-22 में 400 अरब डॉलर के व्यापारिक निर्यात का लक्ष्य रखा है और मुझे यकीन है कि रत्न और आभूषण क्षेत्र से हम सभी इसे हासिल करने में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए काम करेंगे अमेरिका और यूरोप सहित कई निर्यात स्थलों पर तेजी से रिकवरी हो रही है। हमारे पास एक जबरदस्त स्थानीय नेटवर्क है और यह हमारी अर्थव्यवस्था को लाभ प्रदान करने की इसकी क्षमता एक
सकरात्मक चरण है। हमारे माननीय प्रधान मंत्री के प्रोत्साहन और हमारी भारत सरकार के समर्थन के साथ, हमें विश्वास है कि भारतीय निर्यातक इस वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होंगे।”
“हमने सरकार से अपील की है नीतिगत सुधार लाने के लिए जो इस क्षेत्र को वैश्विक मोर्चे पर प्रतिस्पर्धी बना देगा हमने उनसे व्यापार करने में आसानी को आगे बढ़ाने बैंकों के माध्यम से पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान करने, टैक्सेशन और सेज नीतियों को युक्तिसंगत बनाने के लिए अनुरोध किया है ताकि इस क्षेत्र को दुनिया भर में एफडीआई और मैन्युफैक्चरिंग आउटसोर्सिंग का केंद्र बनाया जा सके। यह समर्थन भारत को चीन, थाईलैंड, वियतनाम और तुर्की जैसे हमारे प्रतिस्पर्धियों के बराबर लाने में मदद करेगा