‘अंतरध्वनि’ तथा ‘राजस्थान रुमेटोलॉजिस्ट एसोसिएशन’ द्वारा एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस(गठिया, सूजन की बीमारी) के लिए मरीजों के लिए सपोर्ट ग्रुप (सहायता समूह) के जयपुर चैप्टर की शुरुआत 7 अगस्त शनिवार से की गई है। इस सपोर्ट ग्रुप के गठन का उद्देश्य इस बीमारी से पीडि़त मरीज एवं इसके उपचार से संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टर, फिजियोथेरेपिस्ट, योग प्रशिक्षकों और आहार विशेषज्ञों को एक साथ जोडना है, जो कि इस क्षेत्र में नई दवाएं, नए शोध और निष्कर्ष साझा करके मरीजों की सहायता करते हैं।
जयपुर चैप्टर का शुभारंभ अंतरध्वनि के फाउंडर और हाई-टेक आईसॉल्यूशंस के संस्थापक और सीईओ प्रणीत बंथिया, अंतरध्वनि -जयपुर के प्रोग्राम हेड शालू गोलेचा और जाने-माने रुमेटोलॉजी विशेषज्ञ तथा ‘राजस्थान रुमेटोलॉजिस्ट एसोसिएशन’ के प्रेसिडेंट डॉ. राहुल जैन, वाइस प्रेसिडेंट डॉ. भरत सिंह, सेक्रेटरी डॉ. अमित शर्मा, और ट्रेजरर डॉ. भूपेंद्र वैष्णव की उपस्थिति में किया गया।
इस अवसर पर प्रणीत बंथिया ने कहा कि, अंतरध्वनि का मिशन डॉक्टरों और मरीजों को जोडऩा और एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के प्रबंधन के बारे में जागरूकता फैलाना है। गुजरात में अहमदाबाद, सूरत और वडोदरा में अंतरध्वनि के पहले से ही चैप्टर कार्यरत हैं और अब तक 2,500 से अधिक मरीजों के साथ काम कर चुके हैं। अंतरध्वनि ने जल्द ही उदयपुर में भी एक रोगी सहायता समूह बनाने की भी योजना बनाई है।
एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक ऐसी स्थिति है जहां रीढ़ की हड्डी के सभी या कुछ जोड़, संधि स्थल और हड्डियां बांस की तरह आपस में जुड़ जाती हैं। यह अक्सर रीढ़ की हड्डी में सूजन का कारण बनता है और गंभीर मामलों में, यहां तक कि हृदय या आंखों को भी प्रभावित करता है। इसे एक दुर्लभ बीमारी के रूप में वर्गीकृत किया गया है क्योंकि हर 10,000 में से 8 व्यक्ति इससे पीडि़त हैं। यह रोग आजीवन और लाइलाज बीमारी है, लेकिन नियमित व्यायाम और चिकित्सा सहायता रोगियों को राहत प्रदान कर सकती है।
विशेष रूप से, इसके पहले लक्षण पीठ के निचले हिस्से और नितंबों में लगातार दर्द और जकडऩ हैं, जो धीरे-धीरे समय के साथ होते हैं। इस रोग में दर्द दोनों तरफ महसूस होता है और कम से कम तीन महीने तक बना रहता है। यह आमतौर पर सुबह और रात में बहुत तेज होता है, लेकिन हल्के व्यायाम या गर्म स्नान से स्थिति में सुधार किया जा सकता है।
एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से 20-30 वर्ष की आयु के पुरुष सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इसके लक्षणों में सुबह की जकडऩ के साथ पीठ के निचले हिस्से में दर्द शामिल है। इसका सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि आनुवंशिक, पर्यावरण और प्रतिरक्षा प्रणाली के बीच परस्पर क्रिया इसके लक्षणों को सक्रिय करती है।
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